Wednesday, August 31, 2011

Jeevan ki Yatra

उबलते हुए इस तूफानी समंदर में
कितनी ही भावनाओ का जन्म हुआ
ट्रेन की पटरी पे चलती हुई ये ट्रेन
क्या जीवन की यात्रा परिभाषित नहीं कर रही ?
कहीं उतार , कहीं चढाव
कहीं गतिशीलता , कहीं ठहराव
फिर भी निरंतर यात्रा
एक पड़ाव से दुसरे लक्ष्य की ओर


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