Friday, September 02, 2011

Kaun ho Tum ?

ख़ामोशी में डूबी हुई
ख़ामोशी की सदा है
इस बेजुबान एहसास की
आवाज़ हो तुम
कौन हो तुम ?
सोचा था एहसास भी
वक़्त के साथ
धूमिल होता जायेगा
पर आज भी
न मिलने पर
खोया सा लगता है
मिलने पर
नया सा लगता है
कभी मुखर , कभी मौन हो तुम
कौन हो तुम
धड़कन की सदा ,दिल की आवाज़ हो तुम
कौन हो तुम ?

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